Amendment of Indian constitution Hindi|संविधान संशोधन

नमस्कार दोस्तों studyknown.com ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। आजके यह post में हम Amendment of Indian constitution के बारे में जानेंगे। भारतीय संविधान में संशोधन अधिनियम के तहत कुछ संशोधन किये गए है। जैसे

  • 10th Constitutional Amendment Act in India 1961 में Dadra and Nagar Haveli को Union Territory में समाहित किया गया है।
  • 12th Constitutional Amendment Act 1962 में Goa, Daman and Diu को भारतीओ संघ में शामिल किया गया है।
  • और, 13th Constitutional Amendment Act 1962 में Nagaland को State का दर्जा दिया गया है।
  • 16th Constitutional Amendment Act 1963 में यदि कोई राज्य (State) भारत संघ से अलग होने की कोशिश करता है, तो उस कोशिश को अवैध घोषित किया जायेगा।
  • 22nd Constitutional Amendment Act 1968 में Assam को Meghalaya से अलग किया गया है।
  • 36th Constitutional Amendment Act 1975 में Sikkim को State का दर्ज़ा मिला है।

42nd Amendment Act (Mini Constitution of India)

भारत का छोटा संविधान
  • 42nd Constitutional Amendment Act 1976 इस Amendment को Mini Constitution कहा गया है।
  • तथा, यह Amendment महर्तपूर्ण है।
  • और, इसी Constitutional Amendment में Directive Principles of State Policy को अधिक माहत्य दिया गया है।
  • और, अखंडता, एकता, धर्मनिरपेक्ष तथा समाजवाद जैसे शब्द को जोड़ा गया है।

इन्हे पड़े – Parts of Indian Constitution

Some Important Amendment Act of the Indian constitution

  • 44th Constitutional Amendment Act 1978 को जनता पार्टी सरकार द्वारा लाया गया था।
  • जिसमे, 42 वें संशोधन द्वारा प्रभावित कुछ परिवर्तनों को निरस्त कर दिया गया था।
  • और, मौलिक अधिकार को सात से गठा कर छह कर दिया गया है।
  • इसमें Right to Property को हटाकर क़ानूनी अधिकार में जोर कर विविद अधिकार में शामिल कर दिया गया है।
  • और, Article 300 A में इस विषय के वारे में वर्णन किया गया है।
  • 52nd Amendment Act 1985 of the Indian constitution में राजीव गांधी शासन के दौरान राजनीतिक चूक को समाप्त करने के उद्देश्य से लाया गया था।
  • और, संविधान में दसवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
  • 55th Constitutional Amendment Act 1986 में अरुणाचल प्रदेश के गठन से राज्यपाल को दी गई विशेष शक्तियां प्राप्त हुईं है।
  • यह 30 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए भी प्रदान करता है। 
Amendment of Indian Constitution
Amendment of Indian constitution

56th, 61st, 69th, 91st, and 92nd Amendment Act

  • 56th Amendment Act 1987 of the Indian constitution में राज्य विधानसभा के साथ गोवा को पूर्ण राज्य बनाया गया था।
  • लेकिन, दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में रखा गया है।
  • 61st Constitutional Amendment Act 1988 – 1989 में मतदान के लिए आयु सीमा को इक्कीस ( 21 years) से गठा कर अठारह साल (18 years) कर दिया गया है।
  • 69th Constitutional Amendment Act 1991 – 1992 में दिल्ली (Delhi) को केंद्र शाशित से वदलकर “राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली” कर दिया कर दिया गया है।
  • और, दिल्ली में बिधानसभा तथा मंत्रीपरिषद की वेवस्ता की गई है।
  • 91st Constitutional Amendment Act 2003 – 2004 में चुने गए सदस्यों में से लोकसभा के कुल 15% को लेकर मंत्रीमंडल का विस्तार प्रधानमंत्री करते है
  • तथा, मुख्यमंत्री के लिए राज्य में भी वैसी प्रावधान है।
  • 92nd Constitutional Amendment Act 2003 – 2004 में चार भाषा को जगह दिया गया है, बोडो, डोगरी, मैथिलि और संथाली
  • जिसके तहेत भाषा का संख्या बाईस हो गया है।
  • और, इसे Eight Schedule में रखा गया है।        

Amendment Act 1st,7th, and 14th,

1 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1951

  • इस संशोधन ने अनुच्छेद 15, (4) और 19 अनुच्छेद (6) को जोड़ा गया है।
  • और, मौलिक अधिकारों से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में निजी संपत्ति के अधिकार में परिवर्तन लाया गया है।
  • तथा, संविधान की नौवीं अनुसूची को भी इस अनुच्छेद से जोड़ा गया है।

7 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1956:

Amendment of Indian constitution
  • इस संशोधन के माध्यम से राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कार्यान्वयन को संभव बनाया गया था।
  • और, Part C में राज्यों को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में नया स्वरूप दिया गया है।
  • तथा, राज्यसभा, संघ और राज्य विधानसभाओं में सीटों का पुन: विभाजन किया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त और कार्यवाहक न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों और उनके न्यायालयों आदि की नियुक्ति के संबंध में भी बदलाव किया गया है।

14 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1962 के तहत

  • पूर्व फ्रांसीसी क्षेत्रों पांडिचेरी, कराईकल, माहे और येनम को केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
  • और, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन और दीव तथा पांडिचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों को विधान मंडल और मंत्रिपरिषद में सक्षम किया गया है।

15th,19th,21st and 24th Amendment of Indian Constitution

15 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1963 द्वारा

Amendment of Indian constitution
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर दी गई है।
  • तथा, अनुच्छेद 226 के तहत एक उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को ”सरकार या क्षेत्राधिकार” के बाहर स्थित सरकार के अधिकार के लिए जारी करने का अधिकार दिया गया है।
  • इस तरह के क्षेत्राधिकार के भीतर कार्रवाई होती है।

19 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1966: द्वारा

  • चुनाव आयोग के कर्तव्यों को स्पष्ट करने के लिए अनुच्छेद 324 में संशोधन किया गया है।
  • यह चुनाव आयोग को संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के चुनावी विवादों को तय करने के लिए,
  • चुनाव न्यायाधिकरण नियुक्त करने की शक्ति से वंचित करता है।

21 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1967 में

  • सिंधी भाषा को 8 वीं अनुसूची में 15 वीं क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया गया था।

24 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1971 में

  • गोलक नाथ मामले में निर्णय के प्रभाव को बेअसर करने के लिए यह संसद का प्रतिशोधात्मक अधिनियम था।
  • इसमें अनुच्छेद 368 और 13 में संशोधन करके मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की संसद की शक्ति की पुष्टि की गई है,
  • इसमें राष्ट्रपति के लिए संशोधन विधेयकों को स्वीकार करने के लिए अनिवार्य बना दिया हैं, जब राष्ट्रपति उनके समक्ष प्रस्तुत होते हैं।

25th,26th,30th,31st,35th and 38th Amendment of Indian constitution

25 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1971 – 1972

  • इसमें मुआवजा की पर्याप्तता के संबंध में अधिग्रहण कानूनों पर न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • यह संशोधन मुख्य रूप से बैंक राष्ट्रीयकरण मामले के मद्देनजर आया था,
  • और, अनुच्छेद 31 में ‘मुआवजे’ के स्थान पर ‘राशि’ शब्द को हटा दिया गया था।
  • इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि, अनुच्छेद 39 के खंड (B) और खंड (C) के तहत,
  • निर्दिष्ट निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी करने के लिए राज्य द्वारा पारित कोई भी कानून इस आधार पर शून्य घोषित नहीं किया जा सकता है,
  • कि यह अनुच्छेद 14, 19 और 31 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के साथ असंगत था।

26 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1971

  • इस संशोधन ने रियासतों के शासकों को मान्यता वापस ले ली,
  • और, उनके शाही थैली (Privy Purse) को समाप्त कर दिया गया।

30 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1972 – 1973

  • इसमें प्रावधान किया गया है कि,
  • केवल ऐसी अपील सर्वोच्च न्यायालय में लाई जा सकती है,
  • जिसमें कानून का पर्याप्त प्रश्न शामिल हो।

31 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1974 – 1975

  • इस संशोधन द्वारा, लोकसभा की सीटों को 525 से बढ़ाकर 545 कर दिया गया था,
  • लेकिन लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटाकर 20 कर दिया गया था।

35 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1975 में 

Amendment of Indian constitution
  • सिक्किम को भारत संघ का पूर्ण राज्य बनाया गया था।

38 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1975 के तहत

  • राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अध्यादेश की घोषणा और राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा को स्पष्ट करने को किसी भी आधार पर किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
39th,43rd,57th,58th,59th and 62nd Amendment of Indian constitution

39 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1975 द्वारा

  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनावों के विवादों या सवालों को,
  • सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों की न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर किया गया है।

43 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1977 – 1987 में

  • 43 वें संशोधन ने 42 वें संशोधन द्वारा डाले गए कई लेखों को छोड़ दिया है।
  • इसमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को बहाल कर दिया था।
  • जिसे 42 वें संशोधन के तहत बंद कर दिया गया था।

57 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 में

  • लोकसभा में नागालैंड, मेघालय, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
  • नगालैंड और मेघालय की राज्य विधानसभाओं में नागालैंड और मेघालय की अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें भी आरक्षित थीं।

58 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1987 में

  • राष्ट्रपति द्वारा भारत के लोगों को हिंदी में संविधान का एक आधिकारिक पाठ प्रदान किया गया गया है।

59 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1988 में

Amendment of Indian constitution
  • अनुच्छेद 356 में संशोधन किया गया है।
  • यह प्रदान करने के लिए कि आपातकाल की घोषणा 3 साल तक चल सकती है।
  • और, सरकार को ‘आंतरिक गड़बड़ी’ के आधार पर पंजाब में आपातकाल की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया गया है।
  • अनुच्छेद 352 में किया गया संशोधन इस प्रकार प्रदान करता है कि,
  • पंजाब के संबंध में आपातकाल केवल उसी राज्य में संचालित होगा।

62 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1989 में

  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्रदान की जाने वाली सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया था, यानी 2000 A.D तक।
  • और, अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के मामले में नामांकन के माध्यम से एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण को भी 2000 A.D तक बढ़ाया गया था।
65th,66th,70th,71st,77th,78th, and 79th Amendment of Indian constitution

65 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1990 – 1992 में

Amendment of Indian constitution
  • अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के कारण की देखभाल करने के लिए विस्तृत शक्तियों के साथ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग प्रदान किया गया था।

66 वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1990 में

  • संशोधन राज्यों द्वारा 9 वीं अनुसूची में पारित किए गए 55 नए भूमि सुधार अधिनियमों को शामिल करने के लिए प्रदान किया गया है।

70 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम,1992 द्वारा

  • राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में दिल्ली और पांडिचेरी केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्यों को शामिल करने के लिए,
  • अनुच्छेद 54 और 368 को बदल दिया दिया गया है।

71 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 में

Amendment of Indian constitution
  • इस अधिनियम में 8 वीं अनुसूची में मणिपुर, कोंकणी और नेपाली भाषाओं को शामिल किया गया है ।

77 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1995 में

  • संशोधन द्वारा अनुच्छेद 16 में एक नया उपबंध 4 A जोड़ा गया था,
  • जो राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रावधान करने के लिए अधिकृत करता था,
  • जो कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के संबंध में थे।

78 वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1995 में

  • विभिन्न राज्यों के 27 भूमि सुधार अधिनियमों को सम्मिलित करने के लिए वेश्यावृत्ति के 9 वें अनुसूचित को संशोधन किया गया है।
  • इसके बाद 9 वें अनुसूचित में शामिल अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गई है।

79 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम,1999 में

Amendment of Indian constitution
  • संविधान में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति और एंग्लो-इंडियन के संविधान के प्रारंभ से 60 साल तक यानी 2010 तक,
  • सीटों के आरक्षण का विस्तार करने के लिए अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया है।
Amendment 80th, 81st, and 82nd of the Indian Constitution

80 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2000 में

  • अनुच्छेद 269 में संशोधन किया गया है।
  • और, अनुच्छेद 270 के लिए एक नया अनुच्छेद प्रतिस्थापित किया गया है।
  • तथा, संविधान के अनुच्छेद 272 को समाप्त कर दिया गया है।
  • यह 10 वें वित्त आयोग की सिफारिश पर आधारित था।
  • यह संशोधन 1 अप्रैल 1996 से लागू माना जाता था।
  • संशोधन ने भारत सरकार द्वारा लगाए गए माल की खेप पर केंद्रीय करों और कर्तव्यों के दायरा को बढ़ा कर राज्यों के बीच वितरित किया गया है।

81 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2000 में

Amendment of Indian constitution
  • संविधान के अनुच्छेद 16 (1) में संशोधन और संविधान के अनुच्छेद 16 (1) में खंड (4-A) के बाद एक नया खंड (4-B) जोड़ा गया है।
  • नए क्लॉज (New Clause) (4-B) में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए,
  • स्नातक स्तर की रिक्तियों के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा समाप्त होती है।

82 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2000 में

  • संशोधन ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को नौकरी में आरक्षण,
  • और, पदोन्नति दोनों में योग्यता के अंक और मूल्यांकन के मानकों में छूट बहाल की है।
  • जिसे 1996 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अलग रखा गया था। 
84th,85th,87th and 88th Amendment of Indian Constitution

84 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2001 – 2002

  • इस संशोधन में यह प्रावधान किया गया है की 2026 के बाद पहली जनगणना के अवशेष आंकड़ों के प्रकाशन के बाद तक,
  • निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किसी राज्य की आबादी का पता लगाना है,
  • और, उनमें से प्रत्येक के खिलाफ दिखाई गई जनगणना के आधार पर किया जाएगा; जैसे,
  1. अनुच्छेद 55 – में 1971 की जनगणना के तहत राष्ट्रपति का चुनाव की प्रक्रिया,
  2. तथा, 1971 की जनगणना के अनुसार लोकसभा में प्रत्येक राज्य को सीटों का आवंटन,
  3. और, 1991 के तहत प्रादेशिक राज्य निर्वाचन क्षेत्रों में राज्य का विभाजन,
  4. तथा, अनुच्छेद 170 में 1991 की जनगणना के तहत विधानसभाओं की रचना का प्रक्रिया,
  5. और, अनुच्छेद 330 में 1991 की जनगणना के तहत लोकसभा में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण, 

85 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2001 द्वारा

  • अनुच्छेद 16 के संशोधन खंड (4-A) और किसी भी वर्ग के लिए पदोन्नति के मामले में,
  • ” शब्द के लिए ” किसी भी वर्ग के लिए ” पदोन्नति के मामलों में ” शब्दों को प्रतिस्थापित किया गया है।
  • तथा, सरकारी सेवा में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए ‘परिणामी वरिष्ठता’ के लिए संशोधन प्रदान किया गया है।

87 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 – 2004

Amendment of Indian constitution
  • बशर्ते है कि लोकसभा में सीटों का आवंटन,
  • और, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक राज्य के विभाजन को जनसंख्या के आधार पर,
  • ‘2001’ की जनगणना’ द्वारा पता लगाया जाने का प्रणाली है।

88 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 – 2004

  • इस संशोधन ने अनुच्छेद 268 के बाद एक नया अनुच्छेद 268 A को डाला है,
  • जिसमे भारत संघ को ‘सेवा कर’ लगाने का अधिकार दिया गया है।
  • यह ”कर” संघ और राज्यों तथा संसद द्वारा तैयार किए गए तरीके से एकत्र और विनियोजित किया जाएगा।
Amendment Act, 89th,90th and 94th of Indian Constitution

89 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 में

  • अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए मौजूदा राष्ट्रीय आयोग का विभाजन करके अनुसूचित जनजातियों के लिए,
  • एक अलग राष्ट्रीय आयोग की स्थापना के लिए प्रदान किया गया है।
  • इस आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य शामिल होंगे।
  • उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाने का प्रक्रिया है।

90 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 में

  • बोडोलैंड समस्या के समाधान के लिए केंद्र और बोडो प्रतिनिधियों के बीच समझौते से,
  • असम राज्य के भीतर बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के जिले के निर्माण के कारण इस संशोधन की आवश्यकता थी।
  • इस संशोधन में कहा गया है कि,
  • बोडोलैंड क्षेत्रीय क्षेत्रों के संविधान में अनुसूचित जनजातियों और गैर-अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व को बनाए रखा जाएगा।
  • इसका अर्थ था कि उपरोक्त श्रेणियों का प्रतिनिधित्व बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिले के निर्माण से पहले मौजूद रहेगा।

94 वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2006 में

Amendment of Indian constitution
  • संविधान के अनुच्छेद 164 के खंड (1) से अपवर्जित बिहार को अलग करता है।
  • जो यह प्रावधान करता है, कि इसमें त्रि-कल्याण के प्रभारी मंत्री होंगे,
  • जैसे, बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में पिछड़ा वर्ग जो अनुसूचित जातियों के कल्याण के प्रभारी हो सकते हैं।
  • और, यह छत्तीसगढ़ और झारखंड के नवगठित राज्यों को अनुच्छेद 164 के खंड (1) के प्रावधानों का विस्तार करता है।

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