Dandi March India 1930 Hindi | Salt Satyagraha | दांडी मार्च

नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Dandi March यानि Salt Satyagraha के बारे में जानने वाले है। दोस्तों सन् 1930 में महात्मा गाँधी जी के द्वारा अंग्रेज सरकार ने नमक के ऊपर सबसे ज्यादा Tax लगाने के कानून के विरुद्ध में यह सत्याग्रह किया गया था। और, यह सत्याग्रह कार्यक्रम गाँधीजी समेत कुल 78 लोगो के साथ अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा किये गए थे। और यह यात्रा 12 मार्च से 06 अप्रैल तक चली थी। यानि 24 दिनों का पैदल यात्रा/मार्च निकाला गया था। उसके बाद, गाँधी जी ने नमक हाथ में लेकर के यह नमक विरोधी कानून को भंग किया था।  

दोस्तों अब सवाल यह है की गाँधी जी को यह दांडी मार्च यानि नमक सत्याग्रह करने की जरूरत क्यों पड़ी थी? जिसके लिए उन्होंने एक लम्बा पैदल यात्रा निकाली थी। चलिए जानते है की Dandi March यानि Salt Satyagraha की स्थिति से पहले कौनसा कारन था। जिसके लिए यह आन्दोलन किया गया था।

Mahatma Gandhi decided to carry out Civil Disobedience Movement before Dandi March

  • सबसे पहले 5 फ़रवरी 1922 में उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास चौरी चौरा हत्याकांड के बाद,
  • गाँधी जी ने जब असहयोग आन्दोलन को बापस ले लिया था,
  • तो उस समय भारत की जनता के ऊपर सातंत्रता आन्दोलन की जोश फीका पर गया था।
  • उसके बाद 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में फिर से भारतीय के दिल में सातंत्रता के लिए जागरूपता पैदा हुई थी।
  • लेकिन, अंग्रेजो ने सभी क्रान्तिकारियों को दमन कर Simon Commission के विरोध को भी कुचल दिया था,
  • तथा, देश में हो रहे सभी प्रकार के आन्दोलन को भी अंग्रेजो द्वारा समाप्त किए जा रहे थे,
  • और, उसी दौरान 31 दिसम्बर 1929 में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था,
  • जिसमे जवाहरलाल नेहरू जी ने अध्यक्षता किया था।
  • और, इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का भी नारा दिया था।
  • और, लाहौर में सबसे पहले भारत का तिरंगा को फिराया गया था।
  • इसके साथ, इस अधिवेशन में सभी ने गाँधी जी को फिर से आन्दोलन को प्रारंभ करने के लिए अनुरोध किये थे,
  • क्यों की कांग्रेस और भारत के लोग महात्मा गाँधी जी की लोकप्रियता से परिचित थे,
  • इससे पहले अहिंसा के कारन चौरी चौरा हत्याकांड के बाद गाँधी जी ने सम्पूर्ण रूप से आन्दोलन से खुद को दूर कर लिए थे,
  • गाँधी जी हिंसा को मानते नहीं थे और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सातंत्रता पाने में विस्वास रखते थे।
  • और, गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को करने का निर्णय लिया था।  
  • लेकिन, इस बार ‘’अहिंसा के मार्ग’’ पर आन्दोलन करने के लिए गाँधी जी ने सबसे वादा मांगा था,
  • और, यह भी कहा था की अगर हिंसा हुई तो फिर से यह आन्दोलन को भी स्थगित कर देंगे।
  • इसके पश्चात महात्मा गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को आरंभ किया था।     
Dandi March Image
Dandi March Image

Status from 1929 to 1930

  • दोस्तों 1929 – 1930 में सबसे ज्यादा महामंडी का दौर चल रहा था।
  • और, भारत में महंगाई भी चरम सीमा पर पहुँच गया था।
  • इसीलिए यह महंगाई के लिए लोगो में काफी आक्रोश तथा सातंत्रता के लिए काफी विरोध और गुस्सा था।
  • और, गाँधी जी ने यह सभी परिस्थिति को एक साथ में जोड़ कर,
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन में अंग्रेजो के खिलाप सभी भारतीयों को एक दिशा दी थी।
  • लेकिन, कुछ वर्ग के लोगो ने गाँधी जी से यह आन्दोलन को शुरू करने से पहले,
  • भारत में हो रहे अत्याचारी अंग्रेज सरकार से बातचीत करने का सुझाव दिया था।
  • इसीलिए महात्मा गाँधी जी ने यह आन्दोलन से पहले अंग्रेज सरकार से बातचीत करना उचित समझा था।

Mahatma Gandhi demand 11 points

  • साल 1930 में 30 जनवरी को गाँधी जी ने अपने पत्रिका Young India में एक लेख लिखा था।
  • जिसमे उन्होंने भारतीयों के ऊपर हो रहे अत्याचारो के खिलाप,
  • अंग्रेज सरकार को अपने स्थिति को सुधारने के लिए कहा था।
  • और, लगभग एक महीने तक अंग्रेजो की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया न मिलने की बजह से,
  • 2 मार्च को महात्मा गाँधी जी ने उस समय के वाइसराय Lord Irwin को एक पत्र लिखा था,
  • और, उस पत्र में 11 सूत्रीय मांग को प्रस्तुत किया था।  
  • चलिए दोस्तों अब जानते है की यह ग्यारह सूत्रीय मांगे क्या क्या थी,

1. नमक कर को समाप्त किया जाए,

2. भूमि लगान आधा हो और उस पर परिषद् योजना बनाये,

3. विनिमय की दर घटाकर एक शिलिंग चार पेंस कर दी जाए,

4. बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियों का वेतन को आधा कर दिया जाए,

5. और, सेना सम्बन्धी व्यय में कम-से-कम 50% की कमी हो,

6. तथा, विदेशी वस्त्रों के आयात पर Tax लगाना निषेध हो,

7. गुप्तचर पुलिस को हटा दिया जाए और उस पर जनता का नियंत्रण रहे,

8. भारतीय समुद्र तट केवल भारतीय जहाज़ों के लिए सुरक्षित रहे और इसके लिए एक कानून का निर्माण हो, 

9. सभी राजनीतिक बंदियों को छोड़ दिया जाए,

और, राजनीतिक मामले उठा लिए जाए, तथा, निर्वासित भारतियों को देश वापस आने की अनुमति दी जाए,  

10. और, पूर्ण रूपे से मदिरा का निषेध हो,

11. तथा, आत्मरक्षा के लिए अनुज्ञा पत्र के साथ हथियार रखने की अनुमति दिए जाए,

Civil Disobedience Movement begins with Dandi March
  • लेकिन दोस्तों गाँधी जी की इन ग्यारह सूत्रीय मांगों पर Lord Irwin ने कोई ध्यान नहीं दिया था।
  • जिससे महात्मा गाँधी जी को काफी निराशा होना पड़ा था।
  • और, उन्होंने दांडी यात्रा के साथ सविनय अवज्ञा आन्दोलन को प्रारंभ किया था।
  • क्योंकि गाँधी जी जानते थे अब सरकार के साथ समझौता की कोई गुंजाईश नहीं रही थी।
  • इसीलिए गाँधी जी 78 लोगो के साथ अहमदाबाद साबरमती आश्रम से,
  • 24 दिनों की पैदल यात्रा के साथ 385 KM चलके समुद्रतटीय गाँव दांडी पहुँचे थे।
  • और, अपने हाथ में नमक को लेकर गाँधी जी ने नमक के ऊपर लगाया जाने वाला,
  • यह नमक कानून को भंग कर दिया था।
  • दोस्तों मार्च महीने में यह पद यात्रा शुरू होने के कारन,
  • इसे Dandi March के नाम से भी जाना जाता है।
Conclusion of the Summary
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) द्वारा नमक कानून को तोड़ने से पहले महात्मा गाँधी जी ने,
  • अहमदाबाद में हर घर घर में नमक को अपने हातो से बनाने की घोषणा की थी।
  • जिससे नमक काफी मात्रा में उपलब्ध हो और यह कानून को ख़तम किया जा सके,
  • इसके साथ, गाँधी जी ने वहा के नागरिको और छात्रायो को भी सभी प्रकार के काम काज,
  • तथा, स्कूल कॉलेज में न जाने के लिए Appeal की थी।  
  • और, जिसके चलते पुरे देश भर में यह आन्दोलन ने काफी ज़ोर पकड़ा था।   
  • क्यों की भारत में छोटे बड़े सभी दल जो की सातंत्रता को पाने के लिए निरन्तर काम कर रहे थे,
  • उन सभी दलो ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन के साथ एकजुट होकर गाँधी जी के साथ खड़े थे।
  • इसके साथ यह आन्दोलन को उत्तर पश्चिम में विस्तार करने का श्रेय खान अब्दुल गफ्फार खान को जाता है।
  • तथा, पूर्वोत्तर में यह आन्दोलन को विस्तार करने का श्रेय रानी गाइदिनल्यू को जाता है।
  • देखा जाये तो सविनय अवज्ञा आन्दोलन 1930 से 1934 तक चली थी।
  • जिससे अंग्रेजी हकूमत पूरी तरह से हिल गई थी और उन्हें भारतीयों की शक्ति का अहसास हो गया था।

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