Types of Agriculture in India Hindi | भारत में कृषि के प्रकार

नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Types of Agriculture in India यानि भारत में कृषि के प्रकार के बारे में जानने वाले है। दोस्तों जैसा की हम जानते की भारत में कुल जनसंख्या का लगभग 65 – 70% कृषि के ऊपर निर्भर है। और, भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका सर्वोपरि है।

जिसके कारन भारत के आबादी का लगभग दो तिहाई कृषि से अपनी आजीविका प्राप्त करता है। और, यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, जहां पर मवेशियों की सबसे बड़ी आबादी को भोजन प्रदान करता है। और, हमारी कृषि आधारित उद्योग पूरी तरह से कृषि द्वारा प्रदत्त कच्चे माल पर निर्भर हैं। इसीलिए कृषि हमारी सहयोगी गतिविधियों के साथ राष्ट्रीय आय का 45% है।

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Description of Types of Agriculture in India

“Subsistence Farming | निर्वाह कृषि’’

  • इस प्रकार की कृषि में, किसान केवल जीवित रहने के लिए,
  • पर्याप्त भोजन उगाने के लिए कड़ी मेहनत करता हैं।
  • और, इस प्रकार की खेती में उपज की खपत,
  • मुख्य रूप से किसान और उसके परिवार द्वारा की जाती है,
  • इसीलिए बाजार में बेचने के लिए किसान के पास कोई अधिशेष नहीं होते है।

“Mixed Cultivation | मिश्रित खेती’’

  • दोस्तों कृषि और देहाती खेती के मिश्रण को मिश्रित खेती कहा जाता है।
  • और, इस प्रकार की खेती में, फसलों की खेती और जानवरों के पालन-पोषण,
  • एक ही खेत में एक साथ किए जाते हैं।

“Shifting Farming | स्थानांतरण की खेती”

  • यह कृषि का एक आदिम रूप है, जिसमें कुछ वर्षों के लिए,
  • भूमि की एक भूखंड में खेती की जाती है,
  • और, फिर उसे उजाड़ दिया जाता है।
  • खेती की इस स्थानांतरण तथा बर्न विधि प्रक्रिया को,
  • भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से के जंगलों में पाया जाता है।
  • जहां पर खेती के लिए भूमि का एक भूखंड को साफ किया जाता है,
  • और, उसमे खेती की जाती है,
  • और, जैसे ही खेती की उपज के दो या तीन साल हो जाता है, तो 
  • उस भूमि से खेती करने की कार्यक्षमता कम हो जाती है,
  • जिसके कारन उस भूखंड को छोड़ दिया जाता है,
  • इसीलिए इसे स्थानांतरण की खेती कहा जाता है।

Extensive farming | व्यापक खेती

  • यह खेती की एक ऐसा प्रणाली है,
  • जिसमें कृषक अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में,
  • सीमित मात्रा में श्रम और पूंजी का उपयोग करता है।
  • और, इस प्रकार की कृषि उन देशों में की जाती है,
  • जहां पर जनसंख्या का आकार छोटा होता है,
  • और, भूमि पर्याप्त होते है।
  • यहां, प्रति एकड़ उपज कम होता है,
  • लेकिन, कम आबादी के कारन कुल उत्पादन अधिशेष में होते है।
  • और, वहा पर कृषि भी मशीनों की सहायता से की जाती है।

“Intensive Cultivation | गहन कृषि”

  • इस तरह की खेती प्रणाली में कृषक अपेक्षाकृत,
  • छोटे क्षेत्र में बड़ी मात्रा में श्रम और पूंजी का उपयोग करता है।
  • और, यह खेती उन देशों में की जाती है,
  • जहां पर जनसंख्या का आकार बड़ा होता है,
  • लेकिन, भूमि की मात्रा कम होती है,
  • और, वहां पर ही इस प्रकार की खेती की जाती है,
  • जिसे गहन कृषि कहा जाता है।
  • और, जनसंख्या की बड़ते आकार के लिए भोजन की मांग के कारन ही,
  • इस प्रकार की खेती में सालाना दो या तीन फसलें ही उगाई जाती हैं।
  • जिसमे कृषि नियमावली श्रम की सहायता से की जाती है।
Types of Agriculture in India
Types of Agriculture in India

Description of Plantation Agriculture in the types of agriculture in India

  • इस प्रकार की कृषि में, पेड़ों या झाड़ियों की विशाल सम्पदा लगाया जाता है।
  • और, रबड़, गन्ना, कॉफी, चाय, या केला जैसी एक ही फसल उगाई जाती है।
  • जहां पर यह फसलें निर्यात के लिए प्रमुख वस्तुएं होते हैं।

“Problems of Indian Agriculture”

  • दोस्तों भारत में कृषि को कई प्रकार की समस्याओ का सामना करता परता है,
  • और, हमारे कृषि की कम उत्पादकता ही मुख्य रूप से,
  • हमारे किसानों के सामने आने वाली कठिनाइयों का मुक्ख कारन होते है।
  • और, भारतीय कृषि मुख्य रूप से सहायक प्रकार के होते है,
  • जहां पर परिवार की जरूरतों के लिए पर्याप्त भोजन उगाये जाते है,
  • और, खेतों में काम करने के लिए Manual labor लगाए जाते हैं,
  • जिसके कारन बाद में Marketing/विपणन के लिए,
  • बहुत ही कम उत्पाद बचा रहता है।

Due to low agricultural productivity

  • देखा जाये तो पिछले 4000 या 5000 वर्षों में,
  • भारतीय मिट्टी के एक बड़े हिस्सों में वनों की कटाई,
  • अतिवृष्टि और भारी वर्षा के कारन क्षय होते जा रहे है,  
  • जिसके कारन भूमि का विभाजन और उसके विखंडन भी हुए है।
  • और, भूमि-धारण का आकार भी बहुत छोटा और अनार्थिक रूप में हुआ है।
  • तथा, किसान भी गरीब, अनपढ़ और अज्ञानी हैं।
  • और, वे आदिम उपकरण और पुराने विधि का उपयोग करते हैं।
  • तथा, उनके पास वित्तीय आय और निवेश की कमी है।
  • जिसके कारन अच्छे बीज, उर्वरक और उन्नत तकनीक उपलब्ध नहीं है।
  • तथा, किसानों के पास सिंचाई की सुविधा भी सही पैमाने पर नहीं है,
  • और, वे अभी भी प्रकृति की दया पर ही निर्भर हैं।
  • और, इस स्थिति में अधिकांश किसानों के पास फसल की विफलता या,
  • प्रकृति के कारन हुए नुकसान के खिलाफ कोई सुरक्षा नहीं है।
  • और, आम तौर पर, किसान अशिक्षित होते हैं,
  • इसीलिए उनका कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी नहीं होते है।
  • और, यह सभी प्रमुख तथ्यों ही कृषि की कम उत्पादकता के कारन है।
Different Crop in India | भारत में विभिन्न फसलें
  • भारत में मौसम के अनुसार तीन तरह के फसले मुक्ख रूप से पाई जाती हैं,
  • जैसे, रबी फसल, खरीफ फसल और जायद फसल

“Rabi | रबी”

  • यह फसल बरसात के मौसम के बाद किया जाता है।
  • और, बीजों की बुआई सितंबर एवं अक्टूबर में शुरू होती है,
  • तथा, कटाई फरवरी एवं मार्च के महीनों में की जाती है।
  • और, खरीफ मौसम की तुलना में रबी का मौसम ठंडा और सूखने वाला होता है।
  • तथा, गेहूं, जौ, दलहन और कुछ तिलहन आदि रबी मौसम में उगाए जाते हैं।

“Kharif | खरीफ”

  • खरीफ का मौसम जून एवं जुलाई के मानसून की शुरुआत के साथ होता है।
  • और, यह फसल बारिश के मौसम में उगती है,
  • तथा, कटाई सितंबर एवं अक्टूबर के मानसून के वापसी के बाद होती है।
  • और, खरीफ मौसम में चावल, मक्का, बाजरा,
  • मूंगफली, कपास और जूट आदि उगाए जाते हैं।

“Zayad | जायद”

  • यह फसल बढ़ती गर्मी के मौसम में अप्रैल, मई और जून के मध्य में होते है।
  • और, इस फसल से उत्पाद मुख्य रूप से सब्जियां और फल होते हैं।
Green Revolution | हरित क्रांति 
  • गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों के साथ,
  • उर्वरकों, मशीनों, एवं सिंचाई आदि के उपयोग के परिणामस्वरूप ही,
  • मुख्य रूप से 1960 के बाद से अनाज की कृषि उत्पादकता में,
  • वृद्धि को ही हरित क्रांति के रूप में जाना जाता है।
  • और, खाद्य उत्पादन के मामले में भी,
  • हरित क्रांति ने हमें आत्मनिर्भर बनाया है।
  • तथा, हरित क्रांति ने न केवल हमारे बहुत कीमती,
  • विदेशी धन को बचाया है बल्कि हमें,
  • खुदके ऊपर निर्भर करना भी शिखाया है।
  • लेकिन, हरित क्रांति केवल अमीर किसानों के लिए ही,
  • अधिक फायदेमंद साबित हुई है,
  • क्योंकि इसमें बहुत अधिक निवेश शामिल है।

“Use of Land | भारत का भूमि उपयोग”

  • भारत में कुल भूमि का भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 32.88 करोड़ हेक्टेयर है।
  • और, इसमें से केवल 92.5% भूमि क्षेत्र का ही डेटा उपलब्ध है।
  • जहां पर भूमि को विभिन्न उपयोगों के लिए रखा गया है,
  • लेकिन, भूमि की खेती ही इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग है,
  • इसके साथ भारत में भूमि का उपयोग कुछ इस प्रकार का है,
  • जैसे, संवर्धित भूमि का 43.41%, वनाच्छादित क्षेत्र 22.57%,
  • परती भूमि 10.85%, गैर कृषि उपयोग के अंतर्गत क्षेत्र 6.29%,
  • और, बंजर भूमि (सैंडी, शुष्क, चट्टानी क्षेत्र) 6.29%,
  • तथा, कृषि अयोग्य भूमि का उपयोग4.41% आदि…

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