Water Resources in India Hindi | भारत में जल संसाधन

नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Water Resources in India यानि भारत में जल संसाधन के बारे में जानने वाले है। दोस्तों जैसा की आपसभी जानते है की भारत की भूमि कृषि प्रधान है।

और, भारतीय कृषि मानसून पर ज्यादा निर्भर होते है, इसीलिए जिस वर्ष भारत में मानसून पर्याप्त नही होते है, उस वर्ष खेती में हुए फसलों भी काफ़ी मात्रा में बरबाद हो जाते है, तथा, फसलों का भी अपेक्षाकृत उत्पादन कम हो जाता है।

इसीलिए कृषि की निरंतरता को बनाये रखने के लिए सिंचाई की जरूरत पड़ती है। और, सिंचाई की साधनो के लिए कुएं, नलकूप, नहरे एवं तालाब आदि प्रमुख है। और, देखा जाये तो भारत में वर्षा का वितरण एक समान नहीं है, जिसके कारन जिन क्षेत्रों में वर्षा की कमी होती है, उस क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।

और, भारत में जल संसाधन को दो भागों में विभाजित किया गया है, पहला सतही जल/सतह का पानी (Surface Water), एवं दूसरा भूमिगत जल/भू-गर्भ जल (Ground Water). दोस्तों आगे इस पोस्ट में Surface Water तथा Ground Water के बारे में भी विस्तार से जानेंगे। लेकिन उससे पहले पृथ्वी पर पानी की मात्रा किस प्रकार है, उसे सबसे पहले जानते है।

Description of the amount of water on earth in the post of water resources in India

  • दोस्तों हमारे पृथ्वी पर जल की मात्रा जो है,
  • उनमे से महासागरों में लगभग 96.5% जल मौजूद है,
  • और, जिनमे से खारा पानी की मात्रा लगभग 0.9% है,
  • तथा, पुरे पृथ्वी पर Fresh Water (ताजा पानी) की मात्रा केवल 2.5% ही है।
  • और, इन Fresh Water में लगभग 68.7%,
  • ग्लेशियर तथा बर्फ के रूप में मौजूद है।  
  • इसके साथ, पृथ्वी की भू-गर्भ में जल की मात्रा महज 30.1% है,
  • और, पृथ्वी की सतह (Surface) पर ताजा पानी की मात्रा केवल 1.2% है।
  • तथा, जल हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का यौगिक है,
  • इसीलिए, पृथ्वी के लगभग 70% के आसपास जल,
  • नदियां, झीले, तालाब, सागर, महासागरों, और ग्लेशियर आदि में सम्मिलित है।

Note: ग्लेशियर और बर्फ के रूप में जल की मात्रा 68.7%, तथा, पृथ्वी की भू-गर्भ में मौजूद पानी की मात्रा 30.1% एवं पृथ्वी की सतह (Surface) पर महज ताजा पानी की मात्रा केवल 1.2%, है। और, यह सभी आंकड़े Fresh Water की मात्रा 2.5% के अंदर में आते है।

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Surface Water | सतह का पानी | धरातलीय जल

  • दोस्तों अनुमान के मुताबिक भारत में सालाना,
  • औसतन 109 cm. के आसपास बारिश होती है,
  • और, यह वर्षा 37,000 मिलियन क्यूबिक मीटर के आसपास होती है,
  • लेकिन, इसमें से लगभग 12,500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी वाष्पित हो जाते है,
  • और, 7,900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी भूमि द्वारा अवशोषित होते हैं,
  • और, भारत की नदियों में केवल 16,600,
  • मिलियन क्यूबिक मीटर के आसपास पानी उपलब्ध है।
  • इसमें से केवल 6,600 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग ही,
  • सिंचाई के लिए किया जा सकता है।
  • और, धरातलीय जल पिने का पानी,
  • तथा, मैदान नदियां सिचाई आदि के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।  
  • इसके साथ, धरातलीय जल का प्रमुख स्रोत,
  • जलाशय, तालाब, झीले और नदियां आदि है।
  • और, भारत में लगभग 63% जल सिंचित क्षेत्रों उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश,
  • आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के अंतर्गत आते है।
  • और, धरातलीय जल की उपयोग में भारत में,
  • केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के अनुसार पंजाब 93.85%,
  • हरियाणा 83.88% एवं तमिलनाडु 60.44% जल का बार्षिक दोहन करती है। 
  • और, सबसे कम जल का बार्षिक दोहन महाराष्ट्र 30.39%, आंध्रप्रदेश 23.64%
  • तथा, पश्चिम बंगाल 24.28% करते है।
  • लेकिन, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार,
  • उड़ीसा और असम आदि राज्यों में,
  • जल का दोहन (1/5) सबसे कम होता है।   
Water Resources in India
Water Resources in India

Descriptions of Brahmaputra and Ganges river basins

  • धरातलीय जल की उपयोग में भारत के पूर्वोत्तर में बहने वाली,
  • ब्रह्मपुत्र नदी का बेसिन क्षेत्रों सबसे बड़ा है,
  • किन्तु, इसका अधिकांश जल अनुपयोगी है तथा व्यर्थ चला जाता है,
  • क्यों की ब्रह्मपुत्र नदी चीन से होते हुए भारत के अरुणाचलप्रदेश,
  • तथा, असम से होते हुए बांग्लादेश चला जाता है।
  • और, प्रवाहित जल की दृष्टि से देखा जाये तो,
  • गंगा नदी का बेसिन क्षेत्रों द्वितीय स्थान पर आता है,
  • तथा, गंगा नदी का विस्तार भारत में लगभग 2500 km. क्षेत्रों के आसपास है,
  • इसीलिए, गंगा नदी जल का उपयोगी तथा भण्डारण की दृष्टि से,
  • यह नदी प्रथम स्थान पर आता है। 
  • इसके आलावा, गोदावरी, कृष्णा, महानदी और नर्मदा,
  • नदियों का जल भी उपयोगी करने योग्य है।

Ground Water | भूमिगत जल

  • भूमिगत जल में जल भूमि की सतह से चट्टानों,
  • तथा, मिट्टी के माध्यम से रिसकर (Leak) धीरे धीरे,
  • भूमि की गर्भ में जमा होते है,
  • जिसे भूमिगत जल या भू-गर्भ जल कहा जाता है।
  • इसके साथ, भूमिगत जल में वर्षा की कुल 7900,
  • मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही धरती के अंदर में स्थित है।  
  • और, इसमें से केवल 4300 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी,
  • मिट्टी की ऊपरी परत तक पहुंचने में सक्षम है।
  • तथा, यह पानी भूमि के उत्पादन के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।
  • और, बाकी 3600 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी अभेद्य चट्टानों तक पहुंचता है, जो,
  • कुओं या ट्यूबवेल को खोदकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • और, इसमें से केवल 2250 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी आर्थिक रूप से व्यवहार्य है।
  • इसके अलावा, भूमिगत जल संसाधन अनेक कारकों से भी प्रभावित होते है,
  • जिसमे किसी भी प्रदेश की भू-गर्भिक जल,
  • जलीय दशाये तथा जलवायु दशाये आदि सम्मिलित है।
  • और, भूमिगत जल को आठ प्रदेशों में बांटा गया है,
  • जैसे, हिमालय क्षेत्र, ब्रह्मपुत्र-गंगा बेसिन, सेनोजोइक बेसिन,
  • सेनोजोइक अवसादी बेसिन, दक्कन ट्रैप प्रदेश, गोंडवाना अवसादी बेसिन,
  • प्री-कैंब्रियन रवेदार शैली का प्रदेश, प्री-कैंब्रियन अवसादी बेसिन,
Description of eight regions of groundwater in water resources post in India

1.हिमालय क्षेत्र

  • हिमालय क्षेत्र में भूमिगत जल संसाधन की कमी होती है,
  • इसीलिए, जल संसाधनो के लिए इन्ही क्षेत्रों में सिंचाई, पेयजल,
  • जल परियोजना, उद्द्योग आदि में उपयोग किया गया है।
  • और, हिमालय के अंतर्गत अरुणाचलप्रदेश,
  • सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू और कश्मीर आदि सम्मिलित है।

2. ब्रह्मपुत्र-गंगा बेसिन

  • यह बेसिन क्षेत्रों भूमिगत जल के लिए उपयोगी है,
  • और, पुरे देश में लगभग 44% भू-गर्भ जल इस बेसिन पर उपलब्ध है,
  • तथा, भारत में ब्रह्मपुत्र-गंगा बेसिन के अंतर्गत बिहार,
  • उत्तरप्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों सम्मिलित है।

3. सेनोजोइक बेसिन

  • यह बेसिन क्षेत्रों नर्मदा तथा ताप्ती नदी के अंतर्गत आता है,
  • और, इसमें 60 -160 km. की गहरी क्षेत्रों तक,
  • पर्याप्त भूमिगत जल संसाधन मिलते है।

4. सेनोजोइक अवसादी बेसिन

  • यह बेसिन क्षेत्रों टर्शियरी शैली की उपस्थिति के कारन,
  • प्रयाप्त मात्रा में यहां भूमिगत जल पाई जाती है,
  • और, भारत के आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल,
  • तथा, गुजरात जैसे तटीये क्षेत्रों इस बेसिन के अंतर्गत आते है।

5. दक्कन ट्रैप प्रदेश

  • यह प्रदेश में भूमिगत जल की कमी होती है,
  • और, यह क्षेत्रों महाराष्ट्र और कर्नाटक के अंतर्गत आते है।

6. गोंडवाना अवसादी बेसिन

  • यह बेसिन क्षेत्रों चुना पत्थर के लिए प्रसिद्ध है,
  • और, यहां प्रयाप्त जल संसाधन उपलब्ध है,
  • तथा, इसमें गोदावरी और दामोदर जैसे नदी क्षैत्रो सम्मिलित है।

7. प्री-कैंब्रियन रवेदार शैली का प्रदेश

  • यह प्रदेश आधे से अधिक भू-भाग पर विस्तृत है,
  • और, यहां जल संसाधनो की कमी है,
  • तथा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु
  • और, राजस्थान आदि क्षेत्रों सम्मिलित है।
8. प्री-कैंब्रियन अवसादी बेसिन
  • इस अवसादी बेसिन पर भी जल संसाधनों की कमी है,
  • और, यह कुडप्पा तथा विंध्यन बेसिनों पर विस्तृत है।

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