Non Cooperation Movement India 1920 Hindi|असहयोग आन्दोलन

नमस्कार दोस्तों Non Cooperation Movement यानि असहयोग आन्दोलन की यह post में आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके यह post में हम Non Cooperation Movement के बारे में जानने वाले है। असहयोग आन्दोलन को भारत में बाहर से उपनिवेशवाद को ख़तम करने की उद्देश्य से किया गया था। तथा, भारत के लोगों द्वारा बने खादी वस्त्रों एवं वस्तुओं का उपयोग करने के लिए ज़ोर दिया गया था। और, महात्मा गाँधी जी की द्वारा चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आन्दोलन था। और, यह आन्दोलन को दूर-दूर से सहयोग और सफलता भी मिली थी। दोस्तों इसके साथ आगे इस आन्दोलन से जुड़ी सभी पहलु को विस्तार पूर्वक जानने एवं समझने की कोशिश करेंगे।

Start of Non Cooperation Movement

  • देखा जाए तो असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव 1920 में कांग्रेस की नागपुर अधिवेशन में पारित किया गया था।
  • और, इस अधिवेशन में अंग्रेजी सरकार के साथ सभी प्रकार के काम काज न करने के लिए कहा गया था।
  • तथा, स्कूलो, कॉलेजो और न्यायालय में जाने के लिए मना किया गया था,
  • जिससे, अंग्रेज सरकार प्रभावित हो जाए और देश की स्थिति के बारे में सोचने पर मज़बूर हो जाए,
  • इसमें गाँधी जी का कहना था की अगर असहयोग आन्दोलन ठीक ढंग से पालन किया जाए तो,
  • भारत को एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त करने की उम्मीद है।
  • इसीलिए गाँधी जी ने Non Cooperation Movement का विस्तार करने के लिए,
  • खिलाफत आन्दोलन‎ के नेताओँ के साथ हाथ मिलाया था।  

Note: – खिलाफत आन्दोलन‎ जो की उस समय (1920) बम्बई (बर्तमान मुंबई) में हो रहे, तुर्की शासक कमाल अतातुर्क के खिलाप था, क्यों की उनके द्वारा सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक ‘’खलीफ़ा’’ को समाप्त कर दिया गया था। और, यह आन्दोलन ‘’खलीफ़ा’’ की पुनर्स्थापना की माँग पर आधारित था। और, यह आन्दोलन का मुक्ख नायक मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओ के साथ कई मुस्लिम नेता भी थे।  

The leadership of Gandhi Ji for this Movement

  • दोस्तों असहयोग आन्दोलन का मतलब है की आप किसी के साथ में सहयोग नहीं देंगे।
  • जिसके फलस्वरूप भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार का साथ नहीं दिया था।
  • और, Non Cooperation Movement को खिलाफत आन्दोलन का भी समर्थन मिला था।
  • तथा, 1921 में ब्रिटिश साम्राज्य के ‘’वेल्स’’ के राजकुमार (प्रिंस ऑफ वेल्स) भारत आए थे।
  • और, गाँधी जी ने खिलाफत आन्दोलन के नायक अली बन्धुओं को जेल से रिहाई किये जाने के कारन,
  • प्रिन्स ऑफ़ वेल्स को भारत आगमन का बहिष्कार किया था।
  • और, भारत में सर्वत्र काला झण्डा दिखाकर प्रिन्स का स्वागत किया गया था।
  • तथा, इसी बीच Dec, 1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था।
  • जिसमे गाँधी जी को कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया था।
  • और, यहाँ पर असहयोग आन्दोलन को तेज़ करने,
  • तथा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन को चलाने की योजना बनाई गई थी।           
Non Cooperation Movement
Non Cooperation Movement

Preparing for Non Cooperation Movement

  • दोस्तों महात्मा गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को खिलाफत आन्दोलन‎ के साथ इसलिए जोड़ा था,
  • क्यों की गाँधी जी चाहते थे की हिन्दू और मुसलमान मिलकर औपनिवेशिक शासन का अंत करे।
  • और, Non Cooperation Movement का प्रभाव ऐसा था की जिसके बजह से,
  • विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों और कॉलेजों में जाने से इनकार कर दिया था।
  • तथा, वकीलों ने भी अदालत में जाने से मना कर दिया था।
  • इसके साथ कई कस्बों और नगरों में श्रमिक-वर्ग भी हड़ताल पर चले गए थे,
  • और, इस हरताले में लगभग 6 लाख श्रमिक शामिल हुए थे,
  • जिसके कारन 1921 में 396 हरताले हुई थी,
  • और, सरकारी आँकड़ों के मुताबिक भारत में होने वाली यह सबसे ज्यादा हड़तालें थी।
  • तथा, इसी हड़तालो के बजह से ही सरकार को करीब-करीब 70 लाख का नुकसान भी हुआ था।
  • और, इस आन्दोलन का असर देश की पहाड़ी जनजातियों एवं किसानों के ऊपर भी पड़ा था,
  • इसीलिए पहाड़ी जनजातियों ने वन्य कानूनों की अनदेखा कर दी थी,
  • और, किसानों ने भी Tax चुकाने से मना कर दिया था।
  • तथा, इस आन्दोलन में किसानों एवं श्रमिकों ने अपने ढंग से औपनिवेशिक शासन के खिलाप,
  • ‘असहयोग’ की स्थिति को अपने तरीकों से इस्तेमाल किया था। 
  • इसके साथ अंग्रेजो के खिलाप यह ‘असहयोग’ गाँधी जी के जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण आन्दोलन बन गया था।
  • दोस्तों देखा जाए तो असहयोग आन्दोलन शांति की दृष्टि से नकारात्मक था,
  • लेकिन, प्रभाव की दृष्टि से यह आन्दोलन बहुत सकारात्मक था।
  • और, 1857 Revolt के बाद यह ‘असहयोग’ अंग्रेज सरकार की सत्ता को हिला देने वाला पहला आन्दोलन था।  
Chauri chaura Scandal
  • गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन में अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना मुक्ख उद्देश्य था।
  • और, भारत के लोगों द्वारा बने खादी वस्त्रों एवं वस्तुओं का उपयोग करना जरूरी था।
  • इसके साथ यह आन्दोलन को दूर-दूर से सहयोग और सफलता भी मिल रही थी,
  • जिससे समाज के सभी वर्गों की जनता में जोश और भागीदारी बढ़ गई थी।
  • और, जब यह आन्दोलन सफलता के चरम शीर्ष पर पहुँच गया था,
  • तो, उस समय 1922 में 4 Feb को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास एक कस्बे में एक घटना संगठित हुआ था।
  • जिसमे किसानों ने जोश में ब्रिटिश सरकार की एक Police चौकी को आग लगा दी थी,
  • और, उस कांड में चौकी में छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल कर मर गए थे।
  • जिसके कारन इसी घटना को ‘’चौरी-चोरा’ के नाम से जाना गया है।
  • और, यह घटना के बाद गाँधी जी ने Non Cooperation Movement को बापस ले लिया था।
  • क्यों की गाँधी जी अहिंसा को मानने वाले व्यक्ति थे, और हिंसा का समर्थन नही करते थे।      
After the event of Chauri Chaura Scandal
  • दोस्तों गाँधी जी ने अहिंसा के समर्थन में हिंसा के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन को समाप्त कर दिया था।
  • और, Non Cooperation Movement के कारन हजारों भारतीयों को जेल में डाल दिया गया था।
  • फिर भी महात्मा गाँधी जी को लगता था की अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमे आजादी मिल सकेती है।
  • लेकिन, अंग्रेजो के अत्याचारो के खिलाप अहिंसा का मार्ग के कारन ही,
  • भारतीयों को भी कई कीमतों चुकाने पड़े थे।
  • जिसके परिणाम, बाद में चौरी-चौरा काण्ड गठित हुआ था।   
  • और, 1922 में राजद्रोह के आरोप में गाँधी जी को भी गिरफ़तार कर लिया गया था।
  • क्यों की इस आन्दोलन में गाँधी जी के ऊपर कानून की अवहेलना का आरोप लगाया गया था।
  • और, जस्टिस सी. एन. ब्रूमफ़ील्ड की अध्यक्षता वाली जाँच की कार्रवाही में,
  • महात्मा गाँधी जी को छह साल की सजा सुनाई गई थी।
  • लेकिन, बाद में स्वास्थ्य सम्बन्धी करोनो के चलते,
  • उन्हें 5 Feb 1924 को जेल से रिहा कर दिया गया था।
Conclusion of Summary
  • Non Cooperation Movement के स्थगन पर सुभाषचन्द्र बोस ने प्रतिक्रिया दी थी,
  • उन्होंने कहा था की ठीक उसी समय, जब जनता की उत्साह सबसे ज्यादा है,
  • और, आन्दोलन को समाप्त करने का आदेश देना राष्ट्रीय दुर्भाग्य से कम नहीं है।
  • तथा, मोतीलाल नेहरू ने भी इस आन्दोलन को बापस लेने के बारे में कहा था, की
  • यदि दक्षिण के एक गाँव ने अहिंसा का पालन नहीं किया है, तो,
  • इसकी सज़ा उत्तर की एक गाँव को नहीं मिलनी चाहिए।
  • और, यह आन्दोलन को स्थगित करने का प्रभाव गाँधी जी की लोकप्रियता के ऊपर भी पड़ा था।

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