Medieval India History Hindi | मध्यकालीन भारत का इतिहास

नमस्कार दोस्तों Medieval India की यह पोस्ट में आपका स्वागत है। दोस्तों मध्यकालीन भारत की स्तिथि को हम महत्वपूर्ण point के साथ story की तरह पढ़ेंगे। जिसे आपको पढ़ने में आसानी होगी और आनंद आएगा। चलिए शुरू करते है। Medieval India का दौड़ राजपूतों से प्रारंभ होकर दिल्ली सल्तनत, मुग़ल काल और भारत में यूरोपियोंनो का आगमन तक थी। मध्यकालीन दौड़ के समय लगभग आठवीं शताब्दी में अरब देश से सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्र पर मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध और मुल्तान पर आक्रमण कर दिया था।

और, Medieval India के समय उत्तर भारत में राजपूतों का शासन चल रहा था। दोस्तों राजपूतों की शासनकाल को पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर जाये, जहा पे आसान भाषा में राजपूतों का वर्णन किया गया है। उसके बाद महमूद ग़ज़नवी आया उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया था। फिर मोहम्मद ग़ोरी आया और इसने लगभग उत्तर भारत में आपने सम्राज्य को स्थापित कर लिया था। और, इसी मोहम्मद ग़ोरी का जो गुलाम था कुतुबुद्दीन ऐबक इसने 1206 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना कर दी थी।     

The Slave Dynasty (1206 – 1290) of The Delhi Sultanate in Medieval India            

  • गुलाम वंश (The Slave Dynasty)के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था।  
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया था।
  • दानवीरता के कारन इन्हे लाखबक्श भी कहा जाता था।
  • और, ”कुतुब मीनार” की नीव कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी।
  • तथा, अजमेर में ”अढ़ाई दिन का झोंपड़ा” का निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने मध्यकालीन दौड़ (Medieval India) में सबसे पहले राजस्व प्रथा को चालू किया था।
  • इसके बाद इस वंश में शमसुद्दीन इल्तुतमिश (1211 – 1236 ईस्वी) सुल्तान हुए।
  • और, इल्तुतमिश ने तुर्क-ए-चलगाही एवं एकता प्रणाली (भूमि दान से संबंधित) को लागु किया था।
  • तथा, ”कुतुब मीनार” की निर्माण कार्य को पूरा भी करवाया था।  
  • इल्तुतमिश के प्रश्चात उनके पुत्र रुकनुद्दीन फ़िरोज़ शाह 1236 ईस्वी में सुल्तान बने लेकिन इल्तुतमिश की पुत्री रज़िया सुल्तान (1236 – 1240 ईस्वी) द्वारा रुकनुद्दीन को हटा दिया गया था।
  • और, दिल्ली सल्तनत में रज़िया सुल्तान पहली महिला मुस्लिम शासिका थी,
  • जिन्होंने पर्दा प्रथा को अपनाया था, अर्थात पर्दा न करना, वे खुले मुंह दरबार में प्रजा के सामने जाती थी, जिसके कारन सल्तनत में विरोध हुआ था। 
  • रज़िया सुल्तान के बाद दिल्ली सल्तनत में इल्तुतमिश का और एक पुत्र बहराम शाह (1240 – 1242 ईस्वी) सुल्तान हुए।
  • और, बहराम शाह के प्रश्चात नसीरुद्दीन महमूद (1246 – 1266 ईस्वी) दरवेशी राजा के रूप में बहुत पवित्र और महान था।
  • नसीरुद्दीन महमूद के मृत्यु के बाद गयासुद्दीन बलबन (1266 – 1287 ईस्वी) दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर चढ़ा था।
  • बलबन एक महान शासक के रूप में उन्होंने हिन्दुओ को उच्च पद पर नियुक्त किया था।
  • और, इल्तुतमिश द्वारा चलाया गया तुर्क-ए-चलगाही एवं एकता प्रणाली को बलबन ने आपने शासनकाल में खारिज कर दिया था।
  • इस गुलाम वंश का अंतिम शासक शमशुद्दीन क्यूम़र्श था, इसने लगभग 1290 ईस्वी तक शासन किया था। 

The Khilji Dynasty (1290 – 1320) of The Delhi Sultanate

  • खिलजी वंश (The Khilji Dynasty) का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था।
  • फिरोज खिलजी का सेनापति उनके दामाद अलाउद्दीन खिलजी था।
  • और, इसी अलाउद्दीन खिलजी ने फिरोज खिलजी की हत्या कर खिलजी वंश का अगला शासक बन गया था।
  • इन्होने मूल्य नियंत्रण प्रणाली और गुप्तचर प्रणाली को चालू किया था।
  • और, बाजार में घूमने वाले गुप्तचर को बारिद कहा जाता था।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत से सबसे ज्यादा Tax वसूल किया था।
  • और, वृत्ताकार ‘अलाई दरवाजा’, सीरी का किला और हजार खम्भा महल जैसे निर्माण भी अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
  • तथा, अमीर खुसरों और हसन निजामी जैसे उच्च कोटि के विद्धानों को अलाउद्दीन खिलजी ने संरक्षण प्रदान किया था।
  • इसके बाद खिलजी वंश का अगला शासक मुबारक खान (1316 – 1320 ईस्वी) हुए।
  • और, इस वंश का अंतिम शासक खुसरौ खान (1320 ईस्वी) हुए थे।

The Tughlaq Dynasty (1320 – 1414) of The Delhi Sultanate in Medieval India 

  • तुग़लक़ वंश (The Tughlaq Dynasty) का संस्थापक ग़ियासुद्दीन तुग़लक़ था।
  • ग़ियासुद्दीन तुग़लक़ के शासनकाल में मंगलो ने बहुत बार आक्रमण किया था, परन्तु हर बार मंगलो के आक्रमण को ग़ियासुद्दीन तुग़लक़ ने बिफल किया था।
  • और, इनके पुत्र का नाम जौना (उलुघ खान) था।
  • ग़ियासुद्दीन तुग़लक़ के मृत्यु के प्रश्चात उलुघ खान शासक बना जिसे मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ के नाम से जाना जाता है।
  • और, मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ (1325 – 1351 ईस्वी) के शासनकाल में ही मोरक्को यात्री इब्न-बतूता भारत आया था।
  • इब्न-बतूता ने आपने किताब ‘Rihla’ में मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ के शासनकाल का वर्णन किया था।
  • मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ ने 1326 ईस्वी में दीवान-ए-कोही की स्थापना किया था, जो कृषि से सम्बंधित है।
  • तथा, इसने चमड़े के सिक्के भी 1329 ईस्वी में जारी किये थे, जिसके कारन इतिहास में इन्हे पागल राजा की उपाधि दी गई थी।
  • मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ के बाद फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ (1351 – 1388 ईस्वी) के शासनकाल में इन्होने सभी प्रकार के कर (Tax)को बंद करके केवल सिचाई कर वसूला था।  
  • और, दीवान-ए-खैरात (गरीब लड़की की शादी से सम्बंधित) तथा दर-उल-शिफा (दिल्ली का एक अस्पताल) की स्थापना भी किया था।
  • आपने शासनकाल में मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ ने तोपर (हरयाणा) और मेररट (उत्तर प्रदेश) से अशोक के दो स्तंभ को दिल्ली में लाया था।
  • और, 1388 ईस्वी में मोहम्मद-बिन-तुग़लक़ के मृत्यु के प्रश्चात तुग़लक़ वंश का अंतिम शासक 1389 ईस्वी में मुहम्मद शाह तुग़लक़ था।                 

‘’Delhi Sultanate The Sayyid Dynasty (1414 – 1421) in Medieval India’’     

  • सय्यद वंश (The Sayyid Dynasty) का संस्थापक ख़िज़्र खान था।
  • और, अंतिम शासक आलम शाह (1443 – 1451 ईस्वी) था।      

The Lodhi Dynasty (1451 – 1526) of The Delhi Sultanate in Medieval India  

  • लोदी वंश (The Lodhi Dynasty) का संस्थापक बहलोल लोदी (1451 – 1488 ईस्वी) था।
  • बहलोल लोदी पहले अफ़ग़ान सरदार था, लेकिन भारत में तिमूर के आक्रमण के बाद बहलोल लोदी ने पंजाब में स्वयं को स्थापित कर ली थी।  
  • और, लोदी वंश की स्थाप ना कर दी थी।
  • इन्होने आपने शासनकाल में बहलोल सिक्के भी चलाये थे।
  • बहलोल लोदी के बाद उनके पुत्र लोदी वंश का अगला शासक सिकंदर लोदी (1489 – 1517 ईस्वी) हुए।
  • सिकंदर लोदी ने 1504 ईस्वी में दिल्ली से आपने राजधानी को आगरा में स्थानांतरित कर दिया था।
  • और, कृषि विकास में सिकंदर लोदी की काफी रुचि थी, इसलिए उन्होंने गाज़ी-ए-सिकंदरी को शुरू की थी।
  • सिकंदर लोदी के प्रश्चात दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी (1517 – 1526 ईस्वी) हुए।  
  • और, पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हरा दिया था।
  • उस समय बाबर को राणा साँगा ने उज्बेकिस्तान के फ़रगना घाटी से दिल्ली सल्तनत में इब्राहिम लोदी के विरुद्ध भारत बुलाया था।
  • जिसके कुपरिणाम स्वरुप 1527 ईस्वी में खानवा की युद्ध में बाबर ने राणा साँगा को परास्त कर भारत में मुग़ल साम्राज्य को स्थापित कर दी थी।
  • और, खानवा के युद्ध के वाद बाबर को गाज़ी की उपाधि दी गई थी।       
Medieval India
Medieval India

Mughal founder Babur (1526 – 30) in Medieval India

  • मुग़ल वंश का संस्थापक ज़हीरुद्दीन बाबर था।
  • बाबर ने 1528 ईस्वी में चंदेरी का युद्ध में मेदिनीराय को और 1529 में घाघरा के युद्ध में इब्राहिम लोदी की चाचा मुहम्मद लोदी को परास्त किया था।
  • उन्होंने, तुगलुमा प्रणाली को अपनाया और भारत में पहली बार बारूद और तोपखाने का उपयोग किया था।
  • तथा, बाबर ने ”तुजुक-ए-बाबुरी” नामक आपनी आत्मकथा लिखी थी।
  • और, 1530 ईस्वी में बाबर की मृत्यु आगरा में होने के बाद उनकी मकबरे को काबुल में बनाया गया था।

‘’Humayun (1530 – 56) of The Mughal Empire’’

  • बाबर के बाद उनके पुत्र हुमायूं 1530 ईस्वी में मुग़ल साम्राज्य का राजा हुए।
  • लेकिन, 1539 ईस्वी में चौसा युद्ध और 1540 ईस्वी में में कन्नौज / बिलग्राम युद्ध में अफ़ग़ान साम्राज्य के राजा शेर शाह से हुमायूं पूरी तरह से पराजित हो जाता है। 
  • जिसके प्रश्चात वह ईरान भाग जाता है जहाँ उसने अपने जीवन के 12 वर्ष निर्वासन में गुजारे थे।
  • और, 1555 ईस्वी में शेर शाह के मृत्यु के बाद हुमायूं भारत आया और अफ़ग़ानो से आपने साम्राज्य को प्राप्त कर एक बार फिर भारत में शासन किया।
  • उन्होंने दिल्ली में दिन पनाह को अपना दूसरा राजधानी बनाया था।
  • और, दिन पनाह में स्थित एक पुस्तकालय के सीढ़ियों से गिरकर 1556 ईस्वी में हुमायूं की मृत्यु हो जाती है।
  • हुमायूं की बहन थी गुलबदन बेगम, जिन्होंने हुमांयुनामा किताब में हुमायूं की जीवनी के बारे में लिखा था।
  • दोस्तों आपको एक रोचक बात बताते है, हुमायूं जब ईरान भाग गया था, उस समय (1540 – 1545 ईस्वी) शेर शाह ने शानदार प्रशासन पेश किया था।
  • जैसे, भूमि राजस्व नीति का शुरुवाद किया था।
  • तथा, रूपिया (Rupia) नामक सिक्का जारी किया और कलकत्ता से पेशावर तक चलने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड (G.T Road) का निर्माण किया था।
  • और, दिल्ली का पुराना किला भी बनवाया था।
Akbar (1556 – 1605) of The Mughal Empire in Medieval India
  • हुमायूं की मृत्यु के बाद उनका पुत्र जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर (1556 – 1605 ईस्वी) बादशाह बना था।
  • अकबर का जन्म 1542 ईस्वी में अमरकोट पाकिस्तान में हुआ था।
  • अकबर के आयु जब चौदह साल की थी तव बैरम खान को अकबर के राज-प्रतिनिधि और अनुशिक्षक के रुप में नियुक्त किया गया था।
  • और, 1556 ईस्वी में बैरम खान ने मुहम्मद आदिल शाह के हिन्दु सेनापति हेमू (हेमचंद्र विक्रमादित्य) को पानीपत के द्वितीय युद्ध में पराजित कर दिया था।
  • जिससे मुग़ल साम्राज्य का वर्चस्त और बड़ा दिया था।
  • और, आगे चल कर अकबर ने 1581 ईस्वी में दिन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की थी।
  • अकबर ने आगरा किला, लाहौर किला और फतेहपुर सिकरी को बनवाये थे।
  • तथा, गुजरात की विजय पर अकबर ने बुलंद दरवाजे का निर्माण भी कराया था।
  • और, मुग़ल भारत की आधिकारिक भाषा (Official language) पर्शियन थी।
  • इसके साथ अकबर के दरबार में नौ रत्न रहते थे, बीरबल, टोडरमल, भगवानदास, तानसेन, मुल्ला दो प्याजा, अबुल फ़ज़ल, फाइज़ी, मानसिंह और अब्दुर रहीम खानेखाना
  • इनमे से बीरबल जो थे जिन्हे महेश दास के नाम से भी जाना जाता है वे अकबर के प्रसिद्ध सलाहकार थे,  
  • और, टोडरमल वित्त मंत्री था और तानसेन प्रसिद्ध संगीतज्ञ था।  
  • तानसेन ने मिया का मल्हार, कंठाभरण और मिया का टोडी की रचना की थी।
  • तथा, तुलसीदास (रामचरितमानस) भी अकबर के शासनकाल में रहते थे।
  • और, अकबर के शासनकाल में हल्दीघाटी की युद्ध 1576 ईस्वी में मुग़ल सैनिक के नेतृत्व में मन सिंह और मेवाड़ के राणा प्रताप के साथ हुआ था, और, राणा प्रताप हार गया था।  
  • अकबर को भारत में ‘मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक’ माना जाता है।
  • और, वह पहले मुगल शासक थे जिन्होंने राजनीति से धर्म को अलग कर दिया था।
Jahangir (1605 – 27) of The Mughal Empire in Medieval India 
  • जहांगीर को सलीम के नाम से भी जाना जाता है, और, वे अकबर के पुत्र थे,
  • अकबर के मृत्यु के प्रश्चात 1605 ईस्वी में जहांगीर मुग़ल राजसिंहासन पर आसीन हुए।
  • सलीम जहांगीर के बेगम का नाम मिहर-उन-निसा था, जो बंगल के फारसी रईस शेर-अफ़ग़ान की विधवा थी। 
  • और, बाद में जहांगीर ने मिहर-उन-निसा को ‘’नूरजहां’’ की उपाधि दी थी,
  • तथा, आधिकारिक नाम (Official name) पादशाह बेगम थी।  
  • उन्होंने आपने शासनकाल में ज़ंजीर-ए-अदल (न्याय-प्रशासन से सम्बंधित) की स्थापना कड़ी थी।
  • और, जहांगीर के शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रतिनिधि 1609 ईस्वी में कप्तान विलियम हॉकिंस और 1615 ईस्वी में सर थॉमस रो भारत आये थे व्यापार करने के लिए।

‘’Shahjahan (1627 – 57) of The Mughal Empire in Medieval India’’

  • जहांगीर के बाद उनके पुत्र शाहजहाँ 1627 ईस्वी में राजा हुए।
  • और, इन्होने दिल्ली का लाल किला, दिल्ली का जमा मस्जिद, मयूर सिंहासन (कलाकार बादल खान) और आगरा का ताज महल (कलाकार अहमद लाहौरी) बनवाये थे।
  • तथा, शाहजहाँ की बेगम का नाम अर्जुमंद बानो (मुमताज) थी और इनके सात संताने थी,
  • परन्तु औरंगज़ेब और दारा शिको शाहजहाँ के प्रिय संतान थी।   
Aurangzeb (1657 – 1707) of The Mughal Empire in Medieval India  
  • औरंगज़ेब ने दारा शिको को धर्मत की युद्ध (1658 ईस्वी) में परास्त कर शाहजहाँ के प्रश्चात मुग़ल राजगद्दी पर बैठा था।
  • औरंगज़ेब को ज़िंदा पीर भी कहा जाता है।
  • और, उनकी शासनकाल में मुग़ल सैनिक में ज्यादातर हिन्दू थे।
  • उन्होंने आपने शासनकाल में गुजरात का सोमनाथ मंदिर, कशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का केशव राय मंदिरो को तुरवाये थे। 
  • औरंगज़ेब पुरे मुग़ल वंश में सबसे ज्यादा Tax वसूल ने वाला शासक था।  
  • और, वे एक संगीत प्रेमी भी थे, जिन्हे विणा बजाने में ख़फ़ी रुचि थी।
  • औरंगज़ेब के शासनकाल में कई विद्रोहों हुए जैसे जाट विद्रोहों (1669 ईस्वी), सिख विद्रोहों (1675 ईस्वी) और मराठा संघर्ष (1689 ईस्वी) आदि.. 
  • औरंगज़ेब के प्रश्चात मुग़ल सल्तनत में कई कमज़ोर शासक हुए, जैसे, बहादुर शाह प्रथम (1707 – 1712 ईस्वी),
  • उसके बाद, जहांदार शाह (1712 – 1713 ईस्वी), फर्रुख सियार (1713 – 1719 ईस्वी) एवं मुहम्मद शाह (1719 – 1748 ईस्वी) आये।
  • और, मुहम्मद शाह ने भारत पर धावा बोल कोहिनूर हीरा एवं तख्त-ए-तौस (मोर का सिंहासन) को छीन लिया था।
  • उसके बाद, मुग़ल सल्तनत में अहमद शाह (1748 – 1754 ईस्वी) राजा बना,
  • उसके प्रश्चात आलमगीर द्वितीय (1754 – 1759 ईस्वी), शाह आलम द्वितीय (1759 -1806 ईस्वी) और अकबर द्वितीय (1806 – 1837 ईस्वी) राजा बना था।
  • और, मुग़ल सल्तनत का अंतिम शासक बहादुर शाह द्वितीय (1837 – 1857 ईस्वी) हुए थे।  
Advent of Portuguese in Medieval India
  • भारत में सबसे पहले 1498 ईस्वी में पुर्तगाली वास्कोडागामा समुद्री मार्ग से भारत के दक्षिण में स्थित कालीकट बंदरगाह में पहुंचा था।
  • और, मध्यकालीन (Medieval India) समय में पुर्तगालीयों ने सबसे पहले आपने व्यापारिक स्टेशन की स्थापना कोचीन में की थी और इसे अपना राजधानी भी बनाया था।  
  • और, फ्रांसिस्को-दे-अल्मेडा पुर्तगाली का पहला गवर्नर था।
  • तथा, पुर्तगाली का द्वितीय गवर्नर अल्बुकर्क ने 1510 ईस्वी में गोवा के ऊपर कब्ज़ा कर लिया था।
  • बाद में पुर्तगाली निनोदा-कंहा ने राजधानी को (1509 – 1545) कोचीन से गोवा में स्थानांतरण कर दिया था।
  • इसके साथ पुर्तगालीयों ने दमन और दिउ पे भी नियंत्रण किया था।
  • 1947 में भारत स्वतंत्रता होने के बाद भी गोवा पुर्तगाली के शासन में था और 1961 में गोवा को पुर्तगाली से आज़ादी मिली थी।
  • पुर्तगालीयों ने भारत पर जहाज़ निर्माण, प्रिंटिंग प्रेस और तम्बाकू की खेती की शुरुवाद की थी।
  • तथा, भारत और यूरोप के मध्य में समुद्री मार्ग का खोज पुर्तगाली वास्कोडागामा ने की थी।

‘’Arrival of Dutch in Medieval India’’

  • पुर्तगाली के बाद डच ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के पूर्व में सुमात्रा में पहुंचा था।
  • और, डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1602 में की गई थी।
  • भारत में पहला डच व्यक्ति कर्नेलिस हडस्तमान थे।
  • और, सबसे पहले भारत में डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने आपने व्यापारिक स्टेशन की स्थापना मसुलीपट्टम (1605) में की थी।
  • लेकिन, 1759 में बेदरा की युद्ध में अंग्रेजो ने डच का पतन कर दिया था।
Advent of English in Medieval India
  • ईस्ट इंडिया कंपनी स्थापित होने से पहले अंग्रेजी आदमी Mar-chant adventure जॉन मिल्देनहॉल (1599) भारत आये थे।
  • और, Medieval India के दौड़ में जहांगीर के शासनकाल में (1609) ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रतिनिधि कप्तान विलियम हॉकिंस उनके दरबार में आये थे। 
  • विलियम हॉकिंस ने जहांगीर से सूरत में व्यापारिक स्टेशन स्थापना की मंजूरी भी पाई थी।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी का सबसे पहला व्यापारिक स्टेशन पूर्व में मसुलीपट्टम में थी। 
  • इसके बाद 1615 ईस्वी में इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत सर थॉमस रो भारत आये और उन्होंने जहांगीर से भारत में विभिन्न क्षेत्र पर ईस्ट इंडिया कंपनी स्थापित करने के लिए मंजूरी पाई थी।
  • और, इस कंपनी के जॉब चार्नोक ने 1690 में सुतानाती में एक कारखाना की स्थापना की और इसके साथ कालीकाता और गोबिंदपुर की ज़मींदारी भी अंग्रेजों (1698) ने हासिल की थी।
  • बाद में यह गाँव ‘’कलकत्ता शहर’’ में विकसित हुए थे।
  • और, सुतानाती में कारखाना को 1696 में किलेबंदी की गई थी, जिसके बाद में 1700 ईस्वी में इसी किलेबंदी का नाम Fort William रखा गया था।  
Arrival of French in Medieval India
  • फ्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन ‘कोल्बर्ट’ द्वारा 1664 में किया गया था।
  • और, मध्यकालीन भारत में फ्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी का स्थापना ‘फ्रांकोइस’ द्वारा 1668 में सूरत में किया गया था।
  • इसके बाद फ्रांसिसीयो ने अपनी कारखाना पूर्वमें मसुलीपट्टम (1669) में भी लगाई थी।  
  • और, 1720 – 1742 के मध्य में फ्रांसिसीयो ने अपना शक्ति को भारत में ‘लेनोइर’ और ‘डुमास’ द्वारा पुनर्जीवित किया था।  
  • जिसके फलस्वरूप यनम, माहे और कराईकल को फ्रांसिसीयो ने आपने नियंत्रण में लिया था।
  • तथा, एंग्लो फ्रेंच संघर्ष के दौरान 1742 में भारत में फ्रांसीसी गवर्नर डुप्लेक्स का आगमन हुआ था।
  • और, भारत में एंग्लो फ्रेंच संघर्ष / कर्नाटिक युद्ध 1746 – 1763 के मध्य में तीन बार हुए थे।
  • प्रथम एंग्लो फ्रेंच संघर्ष, द्वितीय एंग्लो फ्रेंच संघर्ष और तृतीय एंग्लो फ्रेंच संघर्ष थे।                       

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