Shivaji Maharaj story Hindi|शिवाजी महाराज की कहानी

नमस्कार दोस्तों Chhatrapati Shivaji Maharaj  की यह पोस्ट मे आपसभी का स्वागत है। आजके यह पोस्ट में हम Chhatrapati Shivaji Maharaj  के बारे में जानेंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा नाम ”शिवाजी राजे भोसले” है। और, वे मराठा साम्राज्य के गौरव है। और, श्री शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की प्रगति के लिए अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता को मराठा साम्राज्य को प्रदान किया है। जिसके कारन मराठा साम्राज्य बहुत शक्तिशाली था। दोस्तों इसके साथ यह पोस्ट में शिवाजी महाराज से जुडी हुई और भी कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में भी विस्तार से जानेंगे। चलिए दोस्तों सबसे पहले Shivaji Maharaj  के आरम्भिक जीवन की शुरूवाती दौर के बारे में जानते है।

The Early life of Chhatrapati Shivaji Maharaj

  • Chhatrapati Shivaji Maharaj का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में स्थित शिवनेरी किला में साल 1630 में 19 February को हुआ था।
  • लेकिन कुछ लोग शिवाजी महाराज का जन्म को साल 1927 को बताते है।
  • शिवाजी महाराज के माता का नाम जीजाबाई थी।
  • जिन्हे राजमाता जिजाऊ के नाम से भी जाना जाता था।
  • और, वे यादव कुल में जन्म लेनेवाली असाधारण प्रतिभाशाली महिला थी। 
  • और, शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले थे।  
  • जिन्होंने बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के सेनापति के रूप में अपना कार्यभार को चला रहे थे।
  • इसीलिए शिवाजी महाराज का बचपन उनके माता जीजाबाई की देखरेख में शिवनेरी किला में हुआ था।
  • और, शिवाजी महाराज बचपन से ही राजनीति तथा युद्ध शिक्षा में बहुत गुणी थे।
  • तथा, समर्थ रामदास जी उनके धार्मिक शिक्षागुरू के रूप में उनके साथ थे।
  • और, शिवाजी के दादा कोंडदेव-जी उनके अभिभावक के रूप में थे।
  • और, इन्ही लोगो के साथ ही शिवाजी महाराज का बचपन गुजरा है।
  • इसके साथ शिवाजी महाराज सभी प्रकार के कलाओं में भी माहिर थे। 
  • जिसके कारन शिवाजी महाराज के चरित्र पर उनके माता-पिता का बहुत अच्छा प्रभाव था।
  • और, वे बचपन से ही स्वाधीनता की वातावरण और घटनाओं को भलीभाति समझने लगे थे।
  • और, उस समय के दौरान चल रहा शासक वर्ग की अत्याचारो की प्रभाव कोदेखते हुए,
  • शिवाजी महाराज की हृदय भी स्वाधीनता के लिए लौ प्रज्ज्वलित होने लगे।
  • और, उन्होंने विदेशी शासन की बेड़ियां को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था। 

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Shivaji Maharaj
Shivaji Maharaj

Chhatrapati Maharaj was launches of Military Organization

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सईबाई के साथ साल 1640 में 14 May को पुणे के लाल महल में हुआ था।
  • तथा, सईबाई जी एवं शिवाजी महाराज के चार बच्चे थे संभाजी, अम्बिकाबाई, सखुबाई तथा राणूबाई
  • Shivaji Maharaj ने कम उम्र में शादी इसीलिए किया था,
  • क्यों की उस समय की मांग के अनुसार सभी मराठा सरदारों को एक साथ लाने के लिए,
  • शिवाजी महाराज ने शादी जैसे बन्धन जोड़े थे।
  • और, शिवाजी महाराज को आठ विवाह करने पड़े थे।  
  • तथा, उस समय मुग़ल साम्राज्य एवं विदेशी आक्रमणकाल का दौड़ चल रहा था।  
  • और, शिवाजी महाराज ने भी अपने सैनिक वर्चस्व को बढ़ाने की दिशा में अपने प्रयास को आरम्भ कर दिया था।
  • उन्होंने मावल प्रदेश में रहने वाले सभी मराठा और सभी जाति के लोगो को एकत्रित किया।
  • मावल प्रदेश जो की पश्चिम घाट से जुड़ा 150 किलोमीटर लम्बा और 30 किलोमीटर चौड़ा है।
  • और, मावल प्रदेश के सभी युवकों को संगठित कर दुर्ग के निर्माण कार्य पर शिवाजी ने अपना ज़ोर लगा दिया था।
  • और, उसी समयकाल में ही बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह भी काफी बीमार पड़ गया था।
  • जिसके कारन बीजापुर में अराजकता फैल गई थी।
  • और, इसी मौके का फ़ायदा उठाकर शिवाजी महाराज ने बीजापुर में प्रवेश का निर्णय लिया।
  • तथा, उन्होंने बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति अपनाई,
  • और, सबसे पहले रोहिदेश्वर का दुर्ग पर कब्ज़ा कर उसे हासिल किया था।  

First Phase of Fort Control- शिवाजी महाराज द्वारा किले नियंत्रण का पहला चरण

  • Shivaji Maharaj ने सबसे पहले दुर्ग को हासिल करने की परिकल्पना की,
  • और, एक एक कर उन्होंने कई दुर्ग/किले को अपने नियंत्रण में किया।
  • उन्होंने, पुणे के दक्षिण पश्चिम में तोरणा का दुर्ग को अपने नियंत्रण में करने के लिए,
  • आदिलशाह के दरबारियों को पहले ही रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया था,
  • और, दरबारियों के सलाह पर आदिलशाह ने शिवाजी महाराज को तोरणा दुर्ग का अधिराज बना दिया था।
  • इसके बाद शिवाजी महाराज ने राजगढ़ का दुर्ग एवं चाकन का दुर्ग को भी अपने नियंत्रण में कर लिया था।
  • और, शिवाजी महाराज के इनी हरकतों से परेशान होकर मुग़ल बादशाह शाहजहां ने मिर्जाराजा जयसिंह को भेजा था।  
  • और, जयसिंह ने शिवाजी महाराज के कई सारे किले पर सिर्फ कब्ज़ा ही नही किया था,  
  • बल्कि उसके साथ, पुरंदर के किले को भी नष्ट कर दिया और कोंडना के दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
  • और, इसी कोंडना के दुर्ग को मुक्त करने के लिए,
  • मावल प्रदेश के तानाजी मालुसरे एवं उनके सैनिक तथा मिर्जाराजा जयसिंह से साथ युद्ध हुआ था।
  • और, कोंडना के दुर्ग को विजय प्राप्त कर तानाजी ने शिवाजी महाराज को कोंडना के दुर्ग को सौप दिया था।  
  • तथा, इस युद्ध में तानाजी मालुसरे विरगती को प्राप्त हुए थे।   
  • दोस्तों तानाजी मालुसरे के ऊपर बनी Movie आपसभी ने देखा होगा।
  • जिसमे Ajay Devgan जी (Tanhaji: The Unsung Warrior) Flim के मुक्ख किरदार में थे।
  • इसके बाद साल 1647 तक शिवाजी महाराज ने सूपा का दुर्ग से लेकर चाकन और नीरा तक की सभी भूभाग पर अधिकार कर लिया था।
  • और, इसी के साथ शिवाजी महाराज ने अपनी सैनिक शक्ति को भी बढ़ाई थी।
  • तथा, मैदानी इलाकों में प्रवेश करने की योजना के तहत अपने कदम भी बढ़ाये थे।  

Second Phase of Fort control- किले नियंत्रण का दूसरा चरण         

  • Shivaji Maharaj ने कई दुर्ग को अपने नियंत्रण में करने के साथ साथ कई महाराजो को अपने साथ सम्मिलित किये थे।    
  • जिसके कारन शिवाजी महाराज के सैन्य शक्ति भी काफ़ी बढ़ गई थी।
  • जिसके साथ शिवाजी महाराज ने दक्षिण भारत में कोंकण पर अधिकार कर लिया था।
  • और, दमन में पुर्तगालियों से वार्षिक Tax को एकत्रित कर मराठा साम्राज्य को और शक्तिशाली कर दिया था।
  • तथा, इस समय तक शिवाजी महाराज लगभग चालीस दुर्गों के मालिक बन चुके थे।
  • और, उस समय औरंगजेब भी मुग़ल साम्राज्य में शाहजहां के बाद सुल्तान बन चूका था।  
  • जिसके कारन औरंगजेब आगरा की तरफ लौट गया था।
  • और, दक्षिण में अब बीजापुर में शिवाजी महाराज का प्रभाव काफी था।
  • जिसके कारन बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह काफी व्याकुल थे।
  • इसीलिए उन्होंने अफ़ज़ल खान को 120000 सैनिकों के साथ साल 1659 में शिवाजी के विरूद्ध भेजा,
  • और, उस समय शिवाजी महाराज प्रतापगढ़ के दुर्ग पर रह रहे थे।
  • अफ़ज़ल खान ने युद्ध के बिना सन्धि-वार्ता से शिवाजी महाराज के साथ इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयत्न किया,
  • परन्तु, शिवाजी महाराज को इस सन्धि में षड्यंत्र का आभाष हुआ,
  • और, शिवाजी ने अफजल खान को एक बहुमूल्य उपहार भेजा,
  • तथा, शिवाजी के तरफ से अफजल खान को सन्धि वार्ता के लिए राजी किया।
  • सन्धि स्थल पर दोनों ने अपने सैनिक घात लगाकर रखे थे,
  • मिलने के स्थान पर जब अफजल खान और शिवाजी महाराज मिले,
  • तो, अफजल खान कट्यार से शिवाजी महाराज के ऊपर प्रहार करने की कोशिश की,,
  • लेकिन, शिवाजी ने अपने वस्त्रों में छुपाये हुए वाघनखो खंजर से अफजल खान की छाती को चीर दिया,
  • और, अफजल खान की मृत्यु हो गई थी।
  • जिसके पश्चात शिवाजी ने पन्हाला के दुर्ग, पवनगढ़ और वसंतगढ़ के दुर्गों को भी अपने नियंत्रण में कर लिया था।
Chhatrapati title to Shivaji Maharaj-शिवाजी महाराज को छत्रपति उपाधि
  • अफजल खान के बाद रूस्तम खान को भी Shivaji Maharaj ने परास्त किया था।
  • इसके साथ, उन्होंने राजापुर एवं दावुल पर भी अपना कब्जा जमा लिया था।  
  • परन्तु, उस समय बीजापुर और आशान्त हो गया था।
  • जिसके चलते वहां के सामन्तो और सुल्तान आदिलशाह ने मिलकर शिवाजी महाराज के ऊपर हमला कर पन्हाला दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
  • जिससे, शिवाजी महाराज संकट में फंस चुके थे,
  • और, उन्होंने समय की परवाह करते हुए भागने में सफल रहे थे।
  • बीजापुर के सुल्तान ने फिर से पन्हाला के दुर्ग, पवनगढ़ और वसंतगढ़ के दुर्गों को आपने अधिकार में ले लिया था।
  • लेकिन, उस समय कर्नाटक में सिद्दीजौहर के विद्रोह ने दक्षिण की तरफ अपना कूच किया था।
  • और, इस खतरे को देखते हुए सुल्तान आदिलशाह ने शिवाजी महाराज से फिर से समझौता करना उचित समझा।
  • तथा, इस सन्धि में शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले ने मध्यस्थता का काम किया था।
  • और, साल 1662 में सन्धि के अनुसार शिवाजी महाराज को बीजापुर के सुल्तान द्वारा स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया गया था।
  • जिसके चलते शिवाजी महाराज के नियंत्रण में उत्तर में कल्याण से लेकर दक्षिण में पोण्डा तक,
  • और, पूर्व में इन्दापुर से लेकर पश्चिम में दावुल तक की भूभाग शामिल थे।
  • तथा, शिवाजी महाराज की सैन्य शक्ति भी लगभग चार लाख के करीब हो गई थी।
  • और, पहली बार मराठा साम्राज्य ने शिवाजी महाराज को “छत्रपती” की उपाधि से भी नवाजा था।
  • छत्रपती संस्कृत शब्द है, जिसका का अर्थ मालिक या शासक है।
  • जो की अपने अनुयायियों को छाया प्रदान करे और उनकी सफलता की रक्षा करता है। 
Administration of Shivaji Maharaj-शिवाजी महाराज का प्रशासन
  • Shivaji Maharaj ने अपने क्षेत्र को अपने शासन (स्वराज) के तहत तीन प्रांतों में विभाजित किया था।
  • और, प्रदेशो को प्रांतों में विभाजित किया गया था जो परगना या तराफ में विभाजित थे।
  • तथा, गाँव के सबसे निचली इकाई पर पटेल (मुखिया) के नेतृत्व में आता था।
  • इसके साथ शिवाजी महाराज ने आठ मंत्री के द्वारा अपने प्रांतों की जिम्मेदारी को सौप राखी थी।
  • जिसे अष्टप्रधान के रूप में भी जाना जाता है।
  • और, यह मंत्रीगण सीधे शिवाजी महाराज को Report सौपा करते थे।
  • तथा, शिवाजी महाराज के यह अष्टप्रधान के उदाहरण है:-

1. पेशवा (मुख्य प्रधान) – वित्त और सामान्य प्रशासन एवं प्रधान मंत्री

2. मजूमदार (अमात्य) – राजस्व और वित्त मंत्री

3. वाकेनवीस (मंत्री) – ग्रह मंत्री

4. दबीर (सुमंत) – विदेश मंत्री

5. सुरनवीस (सचिव) – शाही पत्राचार के प्रमुख

6. पंडित राओ (सरदार) – धार्मिक मामलों के प्रमुख

7. सर-इ-नौबत (सेनापति) – सैन्य सेनाध्यक्ष

Chhatrapati Shivaji Maharaj photo
Chhatrapati Shivaji Maharaj Photo

8. न्यायाधीश – न्यायतंत्र   

  • इसके साथ शिवाजी महाराज के अधिकांश प्रशासनिक सुधार मलिक अंबर (अहमदनगर) सुधारों पर आधारित था।
  • और, भू-राजस्व का आकलन मापन पर आधारित था।
  • मलिक अंबर के काठी को माप की इकाई के रूप में अपनाया गया था।
  • तथा, भू-राजस्व 1 / 3rd तय किया गया था यानी सकल पैदावार का 33% (शुरू में),
  • और, 2 / 5th यानी सकल पैदावार का 40% (सुधारों के बाद),
  • चौथ (Chauth) 1 / 4th था यानी मराठा छापों के अधीन नहीं होने के कारन,
  • भूमि राजस्व का 25% मराठों को भुगतान किया गया था।
  • इसके साथ शिवाजी महाराज ने अपने मराठा साम्राज्य में संस्कृत में लिखी हुई कुछ राजमुद्रा भी चलाये थे।
  • और, यह राजमुद्रा का उपयोग शिवाजी अपने पत्रों एवं सैन्यसामग्री पर करते थे।
Religious policy of Shivaji Maharaj-शिवाजी महाराज के धार्मिक नीति
  • शिवाजी महाराज एक हिन्दु शासक थे, और वे सभीप्रकार के धर्म के प्रति सम्मान भी देते थे।
  • उन्होंने, अपने मराठा साम्राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता भी दी थी।
  • और, हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों एवं फ़कीरों को भी शिवाजी महाराज ने बहुत सम्मान प्रदान किये थे।
  • उन्होंने, अपने साम्राज्य में मस्जिदों के निर्माण में भी अनेक अनुदान दिए थे।
  • शिवाजी महाराज मुसलमानों के खिलाफ नही थे, वे मुग़ल साम्राज्य के नीति के विरूद्ध थे।
  • क्यों की मुग़ल साम्राज्य में इसलाम के इलाबा अन्य धर्म की धार्मिक सातंत्रता नहीं थी।
  • और, छत्रपती शिवाजी महाराज के सेना में मुसलमान सैनिक भी काफी थे।
  • इसके साथ शिवाजी महाराज हिन्दू संस्कृति को भी बहुत बढ़ावा देते थे।
  • दोस्तों हर एक दृष्टि कोण से देखा जाये तो शिवाजी महाराज एक महान शासक थे।
  • और, उन्होंने मराठा साम्राज्य के समृद्धि के लिए अपनी अनुशासित सेवा प्रदान की है। 
Some Important Facts about Chhatrapati Shivaji Maharaj
  • Chhatrapati Shivaji Maharaj ने साल 1664 में सूरत में धनवान व्यापारियों से काफी धन लुटे थे।
  • क्यों की उस समय के दौरान औरंगजेब द्वारा शाईस्ता खान को शिवाजी के खिलाप भेजा गया था,
  • और, शाईस्ता खान ने शिवाजी महाराज के काफी नुकशान किये थे।
  • जिसके हर्जाना के लिए शिवाजी ने आम जनता को नही लुटा था,
  • परन्तु, उन्होंने यूरोपीय व्यापारियों से काफी मात्रा में धन को एकत्रित किये थे।
  • और, इस घटना का ज़िक्र डच तथा अंग्रेजों ने अपने लेखों में किया है।
  • इसके बाद औरंगजेब ने फिर से राजा जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा था।
  • और, इस बार जयसिंह ने शिवाजी महाराज के काफी हानि कर दी थी।
  • जिसके कारन शिवाजी महाराज को अपने चालीस दुर्ग में से तेईस दुर्ग को मुग़लो को देने पड़े थे।
  • उसके बाद शिवाजी महाराज ने भी अपनी संघर्ष को जारी रखा था।  
  • और, साल 1674 में उन्होंने फिर से उन सारे दुर्ग एवं प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया था,
  • जो पुरन्दर की सन्धि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे।
  • और, इस जित के कारन शिवाजी महाराज का फिर से राज्याभिषेक हुआ था।
  • तथा, उन्होंने दूसरी बार छत्रपति की उपाधि ग्रहण की थी।
  • पर उनके राज्याभिषेक के बारह दिन बाद ही उनकी माता जीजाबाई का देहांत हो गया था।  
  • और, शिवाजी महाराज ने छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली यानि शिवसूत्र को भी विकसित किया था।
 Conclusion of Summary- सारांश का निष्कर्ष
  • दोस्तों देखा जाये तो Shivaji Maharaj को एक कुशल और शक्तिशाली सम्राट के रूप में जाना जाता है।
  • लेकिन, बचपन में शिवाजी महाराज की पारम्परिक शिक्षा कुछ खास नहीं थी,
  • परन्तु, वे कूटनीति और राजनीति में चाणक्य की आदर्श को मानते थे।  
  • जिसके फलस्वरूप उन्होंने मराठा साम्राज्य को बहुत शक्तिशाली बनाया था।
  • और, स्वराज की शिक्षा भी शिवाजी ने अपने पिता से लिया था।
  • इसीलिए बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने जब धोके से शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले को बन्दी बना लिया था।
  • तो उस समय शिवाजी ने एक पुत्र होने का फ़र्ज़ अदा किया था।
  • शिवाजी ने सुल्तान से सन्धि कर अपने पिता को छुड़वा लिया था।
  • जिससे शिवाजी महाराज के चरित्र में एक उदार भाव देखा जा सकता है,
  • इसके साथ, उन्होंने अपने पिता की हत्या नहीं करवाई जैसा कि अन्य राजा किया करते थे।
  • उन्होंने अपने पिता के मरने के बाद ही अपना राज्याभिषेक करवाया था।
  • हालांकि उस समय तक शिवाजी अपने पिता से स्वतंत्र होकर एक बड़े साम्राज्य के अधिपति हो गये थे।
  • और, Shivaji Maharaj के शासनकाल में कोई आन्तरिक विद्रोह जैसी घटना नहीं हुई थी।
  • जिसके कारन उनके नेतृत्व को सब लोग स्वीकार करते थे।
  • और, एक महान हिन्दु शासक होने के साथ साथ उन्होंने मराठा साम्राज्य के लिए अपने सेवा प्रदान की थी।
  • और, साल 1680 में 3 April को Chhatrapati Shivaji Maharaj का देहान्त हो गया था।

दोस्तों उम्मीद करता हु की Chhatrapati Shivaji Maharaj की यह पोस्ट पड़कर आपसभी को अच्छा लगा हो। यदि यह पोस्ट आपसभी को पसंद आया है तो कृपया इन पोस्ट को Facebook, twitter, pinterest and Instagram जैसे Social sites पर share करे। और, यह पोस्ट पड़ने के लिए आपसभी का धन्यवाद। इसके साथ आप सब स्वस्थ और सुरक्षित रहे यही कामना करते है।

                

               

    

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